घना मोतियाबिंद क्या है – What Is Dense Cataract In Hindi
घना मोतियाबिंद एक अन्य प्रकार का मोतियाबिंद है, जिसकी खासियत लेंस प्रोटीन का उच्च घनत्व है। इससे लेंस में धुंधलापन आ जाता है और गंभीर दृष्टि संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। आमतौर पर घने मोतियाबिंद का इलाज अन्य मोतियाबिंद के प्रकार की तुलना में ज्यादा कठिन हो सकता हैा। इस प्रकार के मोतियाबिंद की वजह से दृष्टि संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें धुंधली दृष्टि, रात के समय देखने में कठिनाई और रंगों को देखने में परेशानी शामिल हैं।
घने मोतियाबिंद के उपचार में धुंधले लेंस को हटाने और इसे साफ आर्टिफशियल लेंस से बदलने के लिए सर्जरी की जाती है। मोतियाबिंद आंख के प्राकृतिक लेंस का धुंधलापन है। आपकी एक या दोनों आंखों को प्रभावित करने वाला घना मोतियाबिंद समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होता है। इसके अलावा अनुपचारित छोड़ दिए जाने पर मोतियाबिंद अंधेपन का कारण बन सकता है। मोतियाबिंद के कई प्रकार हैं और घना मोतियाबिंद इन्हीं में से एक है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम घने मोतियाबिंद के लक्षण, कारण, निदान और उपचार सहित सभी जरूरी बातों पर चर्चा करेंगे। ऐसे में अगर आप भी मोतियाबिंद सर्जरी पर विचार कर रहे हैं, तो यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।
प्रकार – Types In Hindi
घने मोतियाबिंद के तीन मुख्य प्रकार हैं, जिनमें न्यूक्लियर, कॉर्टिकल और पोस्टीरियर सबकैप्सुलर मोतियाबिंद शामिल हैं।
- न्यूक्लियर मोतियाबिंद- इस प्रकार का मोतियाबिंद लेंस के न्यूक्लियस या केंद्र में बनता है। यह आमतौर पर बुजुर्ग लोगों में सबसे पहले देखा जाता है और सबसे आम मोतियाबिंद है।
- कॉर्टिकल मोतियाबिंद- यह मोतियाबिंद के प्रकार का अन्य विकल्प है, जो लेंस के कॉर्टेक्स या बाहरी परत में बनता है। कॉर्टिकल मोतियाबिंद अक्सर सफेद अपारदर्शिता के रूप में शुरू होते हैं, जो लेंस के बाहरी किनारे से केंद्र की तरफ फैलते हैं।
- पोस्टीरियर सबकैप्सुलर मोतियाबिंद- इस प्रकार का मोतियाबिंद लेंस की पिछली सतह के पास बनता है। किसी भी उम्र में विकसित होने वाला पोस्टीरियर सबकैप्सुलर मोतियाबिंद उन लोगों में ज्यादा आम है, जो कुछ कॉर्टिकोस्टेरॉयड दवाएं लेते हैं या उनकी आंखों में चोट या सूजन है।
लक्षण – Symptoms In Hindi
कई लक्षणों की पहचान करके आप घने मोतियाबिंद का पता लगा सकते हैं, जैसे:
- धुंधली दृष्टि: मोतियाबिंद का सबसे आम लक्षण धुंधली दृष्टि है, जो धीरे-धीरे या अचानक हो सकता है। आप देख सकते हैं कि आपकी दृष्टि उतनी साफ नहीं है जितनी पहले हुआ करती थी या वस्तुएं अस्पष्ट और विकृत दिखाई देती हैं।
- रात के समय देखने में परेशानी: अगर आपको घना मोतियाबिंद है, तो आपको रात के समय या कम रोशनी में देखने पर परेशानी हो सकती है। यह गाड़ी चलाने या अन्य गतिविधियों को ज्यादा कठिन बना सकता है, जिसके लिए अच्छी दृष्टि जरूरी है।
- चकाचौंध और चमकते घेरे: आपको चमकदार रोशनी पहले से ज्यादा परेशान करती है। इससे आपको पढ़ते समय या गाड़ी चलाते हुए साफ देखने में परेशानी होती है। आप रोशनी के चारों तरफ चमकते घेरे भी देख सकते हैं, जो बहुत परेशान करने वाला हो सकता है।
- रंग धारणा में बदलाव: घने मोतियाबिंद के कारण रंग फीके या पीले दिख सकते हैं।
- दोहरी दृष्टि: कुछ मामलों में घने मोतियाबिंद के कारण दोहरी दृष्टि यानी डिप्लोपिया की समस्या हो सकती है। इस स्थिति में आंख का लेंस रेटिना पर रोशनी को ठीक फोकस करने में सक्षम नहीं होता है। इसके कराण आपको एक के बजाय दो छवियां दिखाई देती हैं।
- बार-बार प्रिस्क्रिप्शन बदलना: इस मोतियाबिंद के कारण आपके चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस के प्रिस्क्रिप्शन में बार-बार बदलाव हो सकता है।
- बारीक प्रिंट देखने में कठिनाई: घने मोतियाबिंद के कारण आपके लिए छोटे प्रिंट देखना मुश्किल हो सकता है। यह पढ़ने या अन्य काम को करने के लिए अच्छी दृष्टि की जरूरत को पहले की तुलना में ज्यादा कठिन बना सकता है।
अगर आपके पास इनमें से कोई भी लक्षण है, तो अपने नेत्र रोग विशेषज्ञ से बात करें। यह किसी भी तरह की जटिलता से बचने में फायदेमंद हो सकता है।
जोखिम – Risk In Hindi
घने मोतियाबिंद के विकास के लिए कई जोखिम कारक हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं:
उम्र
घने मोतियाबिंद के लिए सबसे आम जोखिम कारकों में से एक उम्र है। ज्यादातर लोगों में उम्र बढ़ने के साथ मोतियाबिंद विकसित होता है और 60 साल की उम्र के बाद यह जोखिम काफी बढ़ जाता है। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, आंखों के लेंस में बदलाव के कारण धुंधलापन हो सकता है। इस स्थिति में आपको साफ देखने में कठिनाई होती है। साथ ही बढ़ती उम्र के साथ आपकी आंखें क्रिस्टलिन प्रोटीन का कम उत्पादन कर सकती हैं, जो लेंस को साफ रखने में मदद करता है। डायबिटीज और उच्च रक्तचाप जैसे अन्य जोखिम कारक भी मोतियाबिंद के गठन को प्रभावित कर सकते हैं, खासकर अगर यह 50 साल की उम्र से पहले मौजूद हो।
डायबिटीज
डायबिटीज घने मोतियाबिंद के साथ-साथ अन्य दृष्टि समस्याओं जैसे डायबिटिक रेटिनोपैथी, ग्लूकोमा और मैकुलर डिजेनेरेशन के लिए एक अन्य सामान्य जोखिम कारक है। यह सभी समस्याएं गंभीर दृष्टि हानि या अंधेपन का कारण बन सकती हैं। डायबिटीज वाले मरीजों में भी न्यूक्लियर मोतियाबिंद के विकास का ज्यादा खतरा होता है। यह अन्य प्रकार के मोतियाबिंदों की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ता है।
उच्च रक्तचाप
ग्लूकोमा, डायबिटिक रेटिनोपैथी और मैकुलर डिजेनेरेशन सहित कई आंखों की बीमारियों के लिए उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) प्रमुख जोखिम कारक है। यह घने मोतियाबिंद के विकास में भूमिका निभा सकता है। इसके अलावा यह आंखों में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे दृष्टि समस्याएं और आंखों की अन्य बीमारियां होती हैं।
चिकित्सा स्थितियां
कई चिकित्सा स्थितियां घने मोतियाबिंद विकसित करने के बढ़ते जोखिम से जुड़ी हैं। इनमें डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारी और उम्र से संबंधित मैकुलर डिजेनेरेशन शामिल हैं। इन स्थितियों वाले लोगों में पहले की उम्र में मोतियाबिंद विकसित होने की संभावना ज्यादा होती है, जिससे मोतियाबिंद ज्यादा तेजी से बढ़ता है।
धूम्रपान
धूम्रपान उम्र से संबंधित मैकुलर डिजेनेरेशन, डायिबिटिक रेटिनोपैथी और ग्लूकोमा सहित आंखों की बीमारियों गंभीर जोखिम कारक है। यह घने मोतियाबिंद के विकास में भी भूमिका निभा सकता है।
निदान – Diagnosis In Hindi
घने मोतियाबिंद का निदान करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि यह अक्सर शुरुआती चरणों में कोई लक्षण नहीं पैदा करता है। अगर आप अपनी दृष्टि में किसी भी बदलाव का अनुभव करते हैं, तो व्यापक आंखं की जांच के लिए अनुभवी नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना जरूरी है। आंखों की जांच के दौरान डॉक्टर आपकी दृष्टि का आंकलन और आंखों की बनावट में किसी भी तरह के बदलाव का पता लगाते हैं। इस प्रकार वह धुंधलेपन या लेंस पीला होने जैसे मोतियाबिंद के किसी भी लक्षण की जांच करते हैं।
अगर आपको या आपके किसी परिजन को घने मोतियाबिंद का निदान किया गया है, तो डॉक्टर प्रभावित लेंस को हटाने के लिए सर्जरी की सिफारिश करते हैं। यह सर्जरी आमतौर पर साफ दृष्टि बहाल करने में सफल होती है। जबकि, कुछ मामलों में आपको अपनी दृष्टि में सुधार के लिए सर्जरी के बाद चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस पहनने की जरूरत हो सकती है।
उपचार – Treatment In Hindi
घने मोतियाबिंद का मतलब न्यूक्लियर स्क्लेरोसिस है। यह मोतियाबिंद का सबसे आम प्रकार है, जिसका इलाज करने के कुछ अलग तरीके हैं। पहला तरीका सिर्फ मोतियाबिंद के परिपक्व होने तक इंतजांर करना है। इसमें आमतौर पर कई साल लग जाते हैं और आखिरकार आपकी दृष्टि इतनी खराब हो जाएगी कि आपको सर्जरी की जरूरत पड़ेगी।
दूसरा तरीका जल्द से जल्द सर्जरी करवाना है। यह या पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी या लेजर-असिस्टेड मोतियाबिंद सर्जरी (लैक्स) के साथ किया जा सकता है। पारंपरिक सर्जरी में आंख के अंदर चीरा लगाकर धुंधले लेंस को हटाया जाता है। जबकि, लैक्स में सर्जन चीरा लगाने और लेंस को हटाने के लिए एक फेम्टोसेकेंड लेजर का उपयोग करते हैं। इस प्रकार दोनों विधियां प्रभावी हैं, लेकिन लैक्स में जटिलताओं का जोखिम कम होता है।
दवाएं
सर्जरी का एक विकल्प दवाओं का उपयोग करना है, जिससे मोतियाबिंद की प्रोग्रेस में देरी या रोकथाम की जा सकती है। इसमें शामिल हैं:
- एंटीऑक्सिडेंट: यह आंखों को ऑक्सीडेटिव नुकसान से बचाने में मदद करते हैं, जो मोतियाबिंद के गठन में योगदान करता है। विटामिन सी और ई, साथ ही बीटा-कैरोटीन सभी एंटीऑक्सिडेंट हैं, जिनका अध्ययन मोतियाबिंद को रोकने या देरी करने की उनकी क्षमता के लिए किया गया है।
- एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं: मोतियाबिंद के विकास में सूजन भी एक भूमिका निभाती है। इबुप्रोफेन जैसी नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं (एनएसएआईडी) को मोतियाबिंद के विकास का जोखिम कम करने के लिए दिखाया गया है।
- कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स: यह एक प्रकार की एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा है, जिसका उपयोग सर्जन आंखों में सूजन के इलाज में करते हैं। इन्हें आमतौर पर सिर्फ तभी उपयोग किया जाता है, जब अन्य विधियां विफल हो जाती हैं।
कुल मिलाकर मोतियाबिंद के इलाज का सबसे प्रभावी तरीका सर्जरी है, लेकिन दवाएं उनकी प्रोग्रेस में देरी या रोकथाम में मदद कर सकती हैं।
आहार
अच्छी दृष्टि बनाए रखने के लिए स्वस्थ आहार खाना जरूरी है। इसके लिए एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और खनिजों में उच्च आहार मोतियाबिंद, मैकुलर डिजेनेरेशन और ग्लूकोमा सहित कई आंखों की बीमारी से बचाता है। जबकि, एंटीऑक्सीडेंट आंखों को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करते हैं। इस प्रकार स्वस्थ दृष्टि बनाए रखने के लिए विटामिन और खनिज जरूरी हैं। अगर आपको घना मोतियाबिंद है, तो अपने उपचार विकल्पों के बारे में किसी नेत्र विशेषज्ञ से बात करें।
रोकथाम – Prevention In Hindi
मोतियाबिंद की रोकथाम के लिए आप निम्नलिखित सुझावों का पालन कर सकते हैं:
धूप के चश्मे का इस्तेमाल
मोतियाबिंद के सबसे आम कारणों में से एक सूरज की रोशनी के संपर्क में आना है। सूरज की रोशनी में पराबैंगनी किरणें आपकी आंखों के लेंस में प्रोटीन को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इससे वह आपस में जुड़कर मोतियाबिंद का गठन करते हैं। ऐसे में बाहर जाते समय धूप का चश्मा पहनने से आंखों को नुकसान से बचाया जा सकता है। इसके लिए यूवीए और यूवीबी किरणों को रोकने वाला धूप का चश्मा चुनें।
धूम्रपान से परहेज
मोतियाबिंद के लिए धूम्रपान प्रमुख जोखिम कारक है। अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो छोड़ना आपके जोखिम को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है। अगर आप नहीं छोड़ सकते हैं, तो आप हर दिन धूम्रपान में कटौती करें।
स्वस्थ आहार का सेवन
फलों और सब्जियों में उच्च आहार खाने से मोतियाबिंद के विकास के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि जो लोग बहुत सारे एंटीऑक्सिडेंट युक्त खाद्य पदार्थ खाते हैं, उनमें मोतियाबिंद होने का जोखिम इसका सेवन नहीं करने वाले लोगों की तुलना में कम होता है। एंटीऑक्सिडेंट पदार्थ आपकी कोशिकाओं को नुकसान से बचाने में मदद करते हैं। यह कई फलों और सब्जियों में पाए जाते हैं, जैसे:
- ब्लू बैरीज
- पालक
- केल
- संतरे
उन गतिविधियों में शामिल होने पर सुरक्षा चश्मा पहनें, जब आप ऐसी गतिविधियां कर रहे हों, जहां आंखों में चोट लगने का खतरा हो। इनमें खेल खेलना या बिजली के उपकरणों के साथ काम करना आदि शामिल है। ऐसे में अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए सुरक्षात्मक चश्मा पहनें।
आंखों की नियमित जांच
अगर आपको डायबिटीज, उच्च रक्तचाप या मोतियाबिंद का जोखिम बढ़ाने वाली कोई अन्य स्थिति है, तो नियमित आंखों की जांच के लिए डॉक्टर से मिलें। यह परीक्षाएं मोतियाबिंद के जल्द निदान में मदद कर सकती हैं, जिससे उनका इलाज आसान हो जाता है।
निष्कर्ष – Conclusion In Hindi
घने मोतियाबिंद समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होते हैं और आपकी देखने की क्षमता में रुकावट पैदा करते हैं। अगर आपको घना मोतियाबिंद है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना सुनिश्चित करें। वह आपको मोतियाबिंद के लिए जरूरी उपचार प्रदान करते हैं। इस तरह उचित चिकित्सा देखभाल से आपको दृष्टि को बचाने और जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
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