इस प्रक्रिया का इतिहास 1990 के दशक की शुरुआत का है, जब इसे पहली बार जानवरों में इस्तेमाल किया गया था। जबकि, पहली मानव सर्जरी 2001 में की गई थी, जो तब से काफी लोकप्रिय हुई है। इसका मुख्य कारण सर्जरी में लगाए जाने वाले बहुत छोटे चीरे हैं, जिससे जटिलता का जोखिम कम करने और जल्दी रिकवर होने में मदद मिलती है।
आमतौर पर लोग कई कारणों से यह सर्जरी करवाते हैं। इनमें मोतियाबिंद से प्रभावित दृष्टि में सुधार करना सबसे आम कारण है। कुछ मामलों में इस सर्जरी से दृष्टिवैषम्य जैसी अन्य दृष्टि समस्याओं का इलाज भी किया जा सकता है। एमआईसीएस मोतियाबिंद सर्जरी आमतौर पर एक आउट पेशेंट के आधार पर की जाती है। इसका मतलब सर्जरी के बाद आपको रात भर अस्पताल में नहीं रहना पड़ेगा और आप उसी दिन घर जा सकते हैं।
अगर आप मोतियाबिंद से पीड़ित लाखों लोगों में से एक हैं, तो आपको एमआईसीएस मोतियाबिंद सर्जरी पर विचार करना चाहिए। यह सर्जरी एक नई प्रक्रिया है और पिछले कुछ वर्षों में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम एमआईसीएस मोतियाबिंद सर्जरी से संबंधित सभी जरूरी बातों पर चर्चा करेंगे। ऐसे में एमआईसीएस मोतियाबिंद सर्जरी पर विचार कर रहे लोगों के लिए यह ब्लॉग पोस्ट बहुत फायदेमंद हो सकता है।
एमआईसीएस मोतियाबिंद सर्जरी के लिए उम्मीदवार होना स्थिति पर निर्भर करता है। आमतौर पर मोतियाबिंद वाले सभी मरीज इस सर्जिकल प्रक्रिया से गुजर सकते हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया का उपयोग पिछली अपवर्तक सर्जरी या कॉर्नियल बदलाव वाले मरीजों में किया जाता है। यह एक पारंपरिक माइक्रो इंसीजन प्रक्रिया से सबसे अच्छे नतीजे प्राप्त करने की उनकी क्षमता को सीमित करते हैं।
एमआईसीएस मोतियाबिंद सर्जरी का उपयोग उन मामलों में भी किया जा सकता है जहां छोटे और मुश्किल से हटने वाले मोतियाबिंद हैं, जो उन्हें हटाने के पिछली कोशिशों के लिए प्रतिरोधी रहे हैं। कुछ मामलों में इसे बहुत पतले कॉर्निया जैसे दृष्टि सुधार वाले मरीजों के लिए लेसिक विकल्प तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, अन्य मामलों में भी एमआईसीएस मोतियाबिंद सर्जरी की सिफारिश की जा सकती है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
इन दिनों एमआईसीएस सर्जरी की जाने वाली सबसे आम वजहों में से एक डायबिटिक रेटिनोपैथी वाले मरीजों में दृष्टि में सुधार करना है। यह बीमारी रेटिना यानी आंख के पिछले हिस्से की रक्त वाहिकाओं में बदलाव का कारण बनती है। इसके कारण दृष्टि हानि हो सकती है।
अपवर्तक सर्जरी निकट दृष्टिदोष, दूरदर्शिता और दृष्टिवैषम्य जैसी दृष्टि समस्याओं को ठीक करने के लिए की जाती है। एमआईसीएस मोतियाबिंद सर्जरी का उपयोग उन मामलों में किया जा सकता है, जहां मरीज ने अपवर्तक सर्जरी से बेहतरीन नतीजे प्राप्त नहीं किए हैं। इसके अलावा यह सर्जिकल प्रक्रिया उन मामलों भी उपयोग की जा सकती है, जहां मरीज ने पिछली अपवर्तक सर्जरी से जटिलताओं का विकास किया है।
कॉर्निय में बदलाव कई कारणों से हो सकते हैं, जिनमें चोट, बीमारी या उम्र बढ़ने की प्रक्रिया जैसे कई कारक शामिल हैं। यह बदलाव कभी-कभी पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी से सबसे अच्छे नतीजे प्राप्त करना कठिन बनाते हैं। इन मामलों में एमआईसीएस सर्जरी की सिफारिश की जा सकती है।
कुछ मामलों में लोग ऐसे मोतियाबिंद विकसित कर सकते हैं, जो छोटे और निकालने में कठिन होते हैं। इस प्रकार के मोतियाबिंद को दूर करने के लिए एमआईसीएस सर्जरी का उपयोग किया जा सकता है। कभी-कभी यह सर्जरी उन मामलों में पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल की जाती है, जहां मरीज पारंपरिक सर्जरी के लिए अच्छे उम्मीदवार नहीं हैं।
एमआईसीएस मोतियाबिंद सर्जरी के दौरान सर्जन आपकी आंख में सिर्फ 2.4 मिमी चौड़ा छोटा चीरा लगाते हैं। यह मोतियाबिंद सर्जरी के लिए पारंपरिक चीरे के आकार का लगभग दसवां हिस्सा है। चीरा लगाने के बाद सर्जन आपकी आंख में फेकोइमल्सीफिकेशन प्रॉब नाम का छोटा उपकरण डालते हैं। यह प्रॉब मोतियाबिंद को तोड़ने के लिए अल्ट्रासाउंड तरंगों का उपयोग करती है, ताकि इसे हटाया जा सके। मोतियाबिंद हटाने के बाद आंख से प्राकृतिक लेंस निकाला और नया आईओएल लगाया जाता है। ज्यादातर मामलों में इस सर्जरी के बाद टांकों की जरूरत नहीं होती है।
पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी के मुकाबले एमआईसीएस मोतियाबिंद सर्जरी के कई फायदे हैं, जिनमें शामिल हैं:
पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी के बाद सबसे आम सवालों में से एक यह है कि रिकवरी में कितना समय लगता है। हालांकि, एमआईसीएस के साथ मरीज बहुत जल्द रिकवर होने की उम्मीद कर सकते हैं। ज्यादातर मामलों में मरीज एक या दो दिनों के अंदर अपनी सामान्य गतिविधियां शुरु करने में सक्षम होते हैं। इसके अलावा एमआईसीएस बहुत कम आक्रामक प्रक्रिया है, इसमें आपको बहुत कम दर्द और असुविधा महसूस होती है।
एमआईसीएस का एक अन्य फायदा यह है कि इसमें पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी के मुकाबले जटिलताओं की कम दर है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि कम आक्रामक एमआईसीएस सर्जरी छोटे चीरों का उपयोग करती है। इसके अलावा एमआईसीएस सर्जरी में टांके लगाने की जरूरत नहीं है, जिससे इंफेक्शन का कम जोखिम होता है।
पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी के मुकाबले एमआईसीएस सर्जरी बेहतर नतीजे देती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि एमआईसीएस कॉर्निया को बरकरार रखता है। इससे कॉर्निया के प्राकृतिक आकार को बनाए रखने में मदद मिलती है। इस सर्जरी में छोटे चीरों का उपयोग शामिल है, जिससे उपचार प्रक्रिया तेज और प्रभावी होती है।
एमआईसीएस मोतियाबिंद सर्जरी के कई फायदे हैं। इसका सबसे जरूरी फायदा है, कि यह पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी की रिकवरी प्रक्रिया को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है। कुछ मामलों में पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी वाले मरीज जटिलताओं का अनुभव कर सकते हैं, जो उनकी दृष्टि को सामान्य होने से रोक सकती हैं। हालांकि, एमआईसीएस मोतियाबिंद सर्जरी से मरीज अक्सर बेहतर नतीजे प्राप्त करते हैं।
एमआईसीएस मोतियाबिंद सर्जरी में उपयोग की जाने वाली सबसे आम तकनीकों में से एक फेकोइमल्सीफिकेशन है। यह तकनीक मोतियाबिंद को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने के लिए एक उच्च आवृत्ति वाली अल्ट्रासोनिक प्रॉब का उपयोग करती है। इसे बाद में आंख से बाहर निकाल दिया जाता है। फेकोइमल्सीफिकेशन बहुत प्रभावी तकनीक है। फेकोइमल्सीफिकेशन सर्जरी को बेहतरीन नतीजे प्रदान करने के लिए प्रभावी दिखाया गया है।
फेम्टोसेकेंड लेजर के उपयोग को मोतियाबिंद सर्जरी में नया विकास माना जाता है। इस प्रकार के लेजर को सर्जन लेसिक जैसी अपवर्तक सर्जरी के लिए उपयोग करते है। यह प्रक्रिया हाल ही में एफडीए द्वारा मोतियाबिंद सर्जरी में उपयोग के लिए अप्रूव की गई है। फेम्टोसेकेंड लेजर सर्जन को पारंपरिक तरीकों की तुलना में बहुत ज्यादा सटीक चीरा लगाने में मदद करती है। इसके अलावा फेम्टोसेकेंड लेजर का उपयोग आसपास के ऊतकों को ज्यादा संरक्षित करने में मदद कर सकता है। यह कम जटिलताएं और जल्द रिकवरी में फायदेमंद हो सकता है।
मोनोफोकल इंट्राओकुलर लेंस इम्प्लांटेशन मोतियाबिंद सर्जरी का सबसे आम प्रकार है। इस प्रक्रिया के दौरान सर्जन आपकी आंख में छोटा चीरा लगाते हैं और धुंधले प्राकृतिक लेंस को हटा देते हैं। आंख से प्राकृतिक लेंस को हटाने के बाद उसकी जगह एक आर्टिफिशियल आईओएल डाला जाता है। इस प्रकार चुना गया आईओएल आपकी व्यक्तिगत दृष्टि जरूरतों पर आधारित होता है।
आईओएल का सबसे सामान्य प्रकार एक मोनोफोकल लेंस है। इसका मतलब है कि यह निकट दृष्टिदोष या दूर दृष्टि दोष को सही करता है, लेकिन दोनों को नहीं। ऐसे में सर्जरी के बाद भी आपको सभी दूरी पर साफ देखने के लिए चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस पहनने की जरूरत हो सकती है।
इस प्रकार का आईओएल कई दूरियों पर दृष्टि को सुधारता है। यह उन लोगों के लिए खासतौर से फायदेमंद है, जो सर्जरी के बाद चश्मा नहीं लगाना चाहते हैं। मल्टीफोकल आईओएल का एक नुकसान है कि यह मोनोफोकल आईओएल की तुलना में ज्यादा दुष्प्रभाव पैदा कर सकते हैं। इनमें चकाचौंध या चमकते घेरे जैसे दुष्प्रभाव शामिल हैं। इस प्रकार के आईओएल को मोतियाबिंद सर्जरी के दौरान प्रत्यारोपित किया जाता है, जिसमें आपके प्राकृतिक लेंस को हटा दिया जाता है और आईओएल के साथ बदल दिया जाता है।
एक ईडीओएफ आईओएल दूरी और निकट दृष्टि के अलावा मध्यवर्ती दृष्टि की निरंतर श्रृंखला प्रदान करता है। इससे चश्मे पर आपकी निर्भरता को कम करने में मदद मिल सकती है। इस प्रकार के आईओएल को प्रेस्बायोपिया-करेक्टिंग आईओएल या मल्टीफोकल आईओएल के तौर पर भी जाना जाता है।
अन्य प्रकार के आईओएल की तरह मोतियाबिंद सर्जरी के दौरान एक ईडीओएफ आईओएल को सर्जरी द्वारा आपकी आंख के अंदर इम्प्लांट किया जाता है। इसके लिए सर्जन आपकी आंख में एक छोटा चीरा लगाते हैं और फिर इस छेद की मदद से आईओएल को आंख के अंदर डालते है। एक बार आईओएल जगह में लगने के बाद यह रेटिना (आंख के पीछे ऊतक की प्रकाश-संवेदनशील परत) पर रोशनी को फोकस करने में मदद करता है। इससे आप बिना किसी परेशानी के साफ देखने में सक्षम हो सकते हैं।
मोतियाबिंद वाले मरीजों के लिए एमआईसीएस मोतियाबिंद सर्जरी एक बेहतरीन विकल्प है। यह कम से कम आक्रामक सर्जरी आंखों के लिए कम चोट का कारण बनती है। साथ ही इसमें पारंपरिक सर्जरी के मुकाबले रिकवरी का कम समय होता है। एमआईसीएस सर्जरी जटिलताओं के कम जोखिम से भी जुड़ी है। ऐसे में अगर आप मोतियाबिंद सर्जरी पर विचार कर रहे हैं, तो डॉक्टर के साथ अपने सभी विकल्पों पर चर्चा करें। इससे आपको यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि एमआईसीएस सर्जरी आपके लिए सही है या नहीं।
मोतियाबिंद सर्जरी एक सुरक्षित और दर्द रहित प्रक्रिया है। अगर आपके कोई सवाल या परेशानी है, तो आज ही आई मंत्रा के अनुभवी नेत्र रोग विशेषज्ञों से संपर्क करना सुनिश्चित करें। आई मंत्रा में हमारे पास अनुभवी आंखों के सर्जनों की एक टीम है, जो मोतियाबिंद सर्जरी, मोतियाबिंद सर्जरी की कीमत, मोतियाबिंद सर्जरी के अलग-अलग प्रकारों के लिए मोतियाबिंद लेंस की कीमत- फेकोइमल्सीफिकेशन, एमआईसीएस और फेम्टो लेजर मोतियाबिंद पर आपके किसी भी सवाल का जवाब देने में सक्षम है। ज्यादा जानकारी के लिए हमें +91-9711116605 पर कॉल या eyemantra1@gmail.com पर ईमेल करें।