इस प्रकार एक्स्ट्राऑकुलर सर्जरी से खून बहने या इंफेक्शन जैसी जटिलताओं की कम संभावना होती है। यह सर्जरी आमतौर पर आउट पेशेंट के आधार पर की जाती है। इसका मतलब है कि मरीज को रातभर अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं है। एक्स्ट्राऑकुलर सर्जरी से रिकवरी आमतौर पर काफी जल्दी होती है और ज्यादातर मरीज कुछ ही दिनों में अपनी सामान्य गतिविधियां शुरु कर देते हैं। इस प्रकार की सर्जरी का इतिहास 1800 के दशक की शुरुआत में है, जब इसे पहली बार फ्रांसीसी डॉक्टर जैक्स डेविल ने किया था। तब से एक्स्ट्राऑकुलर सर्जरी आम है और आज यह सबसे ज्यादा की जाने वाली आंखों की सर्जरी है।
तकनीकों में प्रोग्रेस के कारण यह सर्जरी मोतियाबिंद के इलाज का सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। अगर आप दृष्टि समस्याओं का सामना कर रहे हैं और यह सर्जरी कराना चाहते हैं, तो सभी विकल्पों को लेकर अपने डॉक्टर से बात करें। एक्स्ट्राऑकुलर सर्जरी सफल प्रक्रिया है, लेकिन बाकी सर्जरी की तरह इसमें कुछ जोखिम शामिल हैं। हालांकि, मोतियाबिंद के लिए कई अलग-अलग प्रकार की प्रक्रियाओं का उपयोग किया जा सकता है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम एक्स्ट्राकैप्सुलर कैटरैक्ट एक्सट्रैक्शन पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा ब्लॉग में ईसीसीई का मतलब, फायदे और जोखिम को भी कवर किया गया है।
एक्स्ट्राकैप्सुलर कैटरैक्ट एक्सट्रैक्शन के लिए कई सर्जिकल तकनीक हैं, जैसे:
ग्लूकोमा का इलाज करना एक्स्ट्राकैप्सुलर कैटरैक्ट एक्सट्रैक्शन के सबसे आम उपयोगों में से एक है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आंख के अंदर का दबाव बढ़ जाता है और इससे ऑप्टिक तंत्रिका डैमेज हो जाती है। कई बार इलाज नहीं किये जाने पर यह अंधेपन का कारण बन सकती है। कभी-कभी कई मोतियाबिंद हो सकते हैं। ऐसे में आंख को बचाने का एकमात्र तरीका एक्स्ट्राकैप्सुलर एक्सट्रैक्शन करना है।
इस सर्जरी का एक अन्य सामान्य उपयोग कॉर्नियल ट्रांसप्लांटेशन में है। इस प्रक्रिया में डैमेज कॉर्निया को स्वस्थ कॉर्निया से बदल दिया जाता है। यह तब किया जा सकता है, जब कॉर्निया में धुंधलापन हों या बीमारी और चोट से कॉर्निया डैमेज हो गया हो। इसके अलावा आर्टिफिशियल कॉर्निया भी उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग इस प्रक्रिया में किया जा सकता है।
मोतियाबिंद एक अन्य आम कारण है कि लोगों की इस प्रकार की सर्जरी क्यों होती है। मोतियाबिंद तब होता है, जब आपकी आंख का लेंस धुंधला हो जाता है और इससे आपके लिए देखना मुश्किल होता है। इस सर्जरी में धुंधले लेंस को हटाकर एक साफ लेंस से बदल दिया जाता है। यह आपकी दृष्टि में सुधार करने और देखना आसान बनाने में मदद कर सकता है।
इस सर्जरी का एक अन्य कारण रेटिनल डिटैचमेंट का इलाज करना है। यह तब होता है, जब रेटिना आंख के पिछले हिस्से से अलग हो जाती है। अगर इसका तुरंत इलाज नहीं किया जाता है, तो यह स्थिति अंधेपन का कारण बन सकती है। इस सर्जरी में सर्जन रेटिना को आंख के पिछले हिस्से से जोड़ते हैं। रेटिनल डिटैचमेंट में कई मोतियाबिंद हो सकते हैं और ऐसे में आंख को बचाने का एकमात्र तरीका एक्स्ट्राकैप्सुलर एक्सट्रैक्शन करना है।
मोतियाबिंद का यह प्रकार तब होता है, जब आपकी आंख का लेंस सफेद और अपारदर्शी हो जाता है। यह आपकी उम्र के अनुसार या कुछ चिकित्सीय स्थितियों के कारण हो सकता है। इस सर्जरी में धुंधले लेंस को हटाया और इसे एक साफ लेंस से बदला जाता है। यह आपकी दृष्टि में सुधार करने और आपके लिए देखना आसान बनाने में मदद कर सकता है।
यह एक्स्ट्राकैप्सुलर कैटरैक्ट एक्सट्रैक्शन के कई उपयोगों में से कुछ हैं। अगर इस प्रकार की सर्जरी के बारे में आपके कोई सवाल हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करना सुनिश्चित करें। वह आपको बता सकते हैं कि क्या यह सर्जरी आपके लिए सही है।
एक्स्ट्राकैप्सुलर कैटरैक्ट एक्सट्रैक्शन की प्रक्रिया लोकल एनेस्थीसिया के तहत की जाती है। आमतौर पर इस सर्जरी में लगभग 30 से 45 मिनट का समय लगता हैं। इसके लिए सबसे पहला कदम आंख में चीरा लगाना है। सर्जरी में कॉर्निया के किनारे एक छेद बनाने के लिए ब्लेड या लेजर का उपयोग किया जाता है, जिसे लिम्बल चीरा कहा जाता है। इसके बाद सर्जन आईरिस यानी आंख के हिस्से के ठीक पीछे एक दूसरा चीरा लगाते हैं। इससे सर्जन को लेंस कैप्सूल तक पहुंचने में मदद मिलती है, जिसमें मोतियाबिंद होता है। अगला कदम मोतियाबिंद के लेंस को हटाना है। लेंस को छोटे टुकड़ों में तोड़ने के लिए इरिगेटिंग चॉपर उपकरण का उपयोग किया जाता है। फिर इन टुकड़ों को एक छोटी ट्यूब के जरिए आंख से बाहर निकाला जाता है। इस तरह आसपास के ऊतकों को परेशान किए बिना मोतियाबिंद को हटा दिया जाता है।
मोतियाबिंद को हटाने के बाद सर्जन एक नया इंट्राओकुलर लेंस यानी आईओएल आंख में डालते हैं। आईओएल लेंस कैप्सूल के अवशेषों द्वारा जगह में आयोजित किया जाता है। कुछ मामलों में चीरों को बंद करने के लिए टांके लगाने पड़ सकते हैं। इसके बाद आपको दृष्टि के अलग-अलग प्रकार प्राप्त हो सकते हैं। हालांकि, यह सब आईओएल के प्रकार और अन्य कारकों पर निर्भर करता है। इनमें उम्र, स्वास्थ्य और पहले से मौजूद चिकित्सीय स्थितियां शामिल हैं। पूरी प्रक्रिया के दौरान इस बात का बहुत ध्यान रखा जाना चाहिए कि मोतियाबिंद के आसपास की नाजुक संरचनाओं जैसे आईरिस या रेटिना को नुकसान न पहुंचे। यही कारण है कि एक अनुभवी सर्जन इस प्रक्रिया को करने के लिए सबसे जरूरी हैं।
मोतियाबिंद सर्जरी के कई अलग-अलग प्रकार हैं, लेकिन सभी में आपकी आंख से धुंधले लेंस को हटाना और इसे साफ आर्टिफिशियल लेंस से बदलना शामिल है। एक्स्ट्राकैप्सुलर कैटरैक्ट एक्सट्रैक्शन मोतियाबिंद सर्जरी का सबसे आम प्रकार था, लेकिन ज्यादातर मामलों में इसे फेकोइमल्सीफिकेशन या फेको से बदल दिया गया है। ईसीसीई में सर्जन आंख में बड़ा चीरा लगाकर धुंधले लेंस को हटाते हैं। फेकोइमल्सीफिकेशन एक नई तकनीक है, जो लेंस को तोड़ने के लिए अल्ट्रासोनिक वेव का उपयोग करती है, ताकि इसे छोटे चीरे के जरिए हटाया जा सके।
आपके लिए जरूरी सर्जरी का प्रकार कई कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें शामिल हैं:
अगर आपको हल्का मोतियाबिंद है, तो आपको सर्जरी की बिल्कुल भी जरूरत नहीं होगी। जबकि, कुछ मामलों में चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस आपकी दृष्टि में पर्याप्त सुधार कर सकते हैं, जिससे आपको सर्जरी की जरूरत नही पड़ती है। मोतियाबिंद के ज्यादा एडवांस प्रकार वाले लोगों के लिए सर्जरी को सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। ईसीसीई कभी एडवांस मोतियाबिंद वाले लोगों के लिए पसंदीदा प्रकार की सर्जरी थी, क्योंकि इससे सर्जन को एक टुकड़े में लेंस हटाने के लिए मदद मिलती थी। इससे आर्टिफिशयल यानी इंट्राओकुलर लेंस या आईओएल को इम्प्लांट करना आसान हो गया और इसके साथ ही जटिलताओं के जोखिम में भी कमी आई।
लोगों द्वारा इस सर्जरी को चुनने का एक मुख्य कारण है कि यह उनकी दृष्टि में जरूरी सुधार कर सकती है। आमतौर पर ज्यादातर मामलों में मरीज सर्जरी के बाद अपनी दृष्टि में उल्लेखनीय सुधार की रिपोर्ट करते हैं। इसके कई अलग-अलग प्रकार के आईओएल भी उपलब्ध हैं, जो दृष्टि में ज्यादा सुधार कर सकते हैं। ऐसे कई आईओएल उपलब्ध हैं जो निकट दृष्टि या दूरदर्शिता जैसी अन्य दृष्टि समस्याओं को ठीक करने में आपकी मदद कर सकते हैं।
इस सर्जरी का एक अन्य फायदा यह है कि इसमें अन्य प्रकार की मोतियाबिंद सर्जरी के मुकाबले जटिलताओं का जोखिम कम होता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सर्जरी में लगाया गया चीरा छोटा और कम आक्रामक होता है। साथ ही इससे प्रक्रिया के दौरान आंख को नुकसान पहुंचने का जोखिम भी कम होता है।
ईसीई सर्जरी का एक अन्य फायदा यह है कि इसमें अन्य सर्जरी के मुकाबले कम रिकवरी का समय होता है। ज्यादातर मामलों में मरीज सर्जरी वाले दिन ही घर जा सकते हैं और कुछ दिनों के अंदर अपनी सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू कर सकते हैं।
कुछ मामलों में ईसीई सर्जरी अन्य आंखों की समस्याओं में भी मदद कर सकती है। उदाहरण के लिए, अगर आपको ग्लूकोमा है, तो यह सर्जरी आपकी आंख में दबाव को कम करके मदद करती है। इसके अलावा आपकी स्थिति के आधार पर आपको अन्य फायदे भी मिल सकते हैं।
इस प्रकार एक्स्ट्राकैप्सुलर कैटरैक्ट एक्सट्रैक्शन के कई फायदे हैं। ऐसे में अगर आप इस सर्जरी पर विचार कर रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से सभी जोखिमों और फायदों के बारे में बात करना सुनिश्चित करें।
इस सर्जरी के कई फायदे हैं, लेकिन बाकी सर्जरी की तरह इसमें कुछ कमियां भी हैं। इनमें शामिल हैं:
इस सर्जरी की मुख्य कमियों में से एक यह है कि अन्य प्रकार की मोतियाबिंद सर्जरी के मुकाबले ईसीई को करने में ज्यादा समय लगता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सर्जन को बड़ा चीरा लगाना और लेंस को एक टुकड़े में निकालना पड़ता है।
इस सर्जरी की एक अन्य कमी यह है कि एक्स्ट्राकैप्सुलर कैटरैक्ट एक्सट्रैक्शन के लिए लोकल एनेस्थीसिया की जरूरत होती है, जो इसके जोखिमों को वहन करती है। कुछ मामलों में मरीजों को एनेस्थीसिया से मतली या उल्टी जैसे दुष्प्रभावों का अनुभव हो सकता है। इसके अलावा सर्जरी में जटिलताओं का एक छोटा जोखिम भी है, जिनमें निमोनिया या खून के थक्के शामिल हैं।
ईसीई के बाद आपको घर ले जाने और कम से कम 24 घंटे आपके साथ रहने के लिए किसी अन्य व्यक्ति की जरूरत होगी। ऐसा इसलिए है, क्योंकि एनेस्थीसिया आपको सुस्त कर सकता है। ऐसे में आपको नहाने और खाने जैसी गतिविधियों में मदद करने के लिए किसी की जरूरत होगी।
मोतियाबिंद सर्जरी एक बड़ा फैसला है, जिसके जोखिम और फायदों की ध्यान से तुलना करना जरूरी है। ऐसे में कोई भी फैसला लेने से पहले अपने सभी विकल्पों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करना सुनिश्चित करें।
किसी भी सर्जरी की तरह एक्स्ट्राकैप्सुलर कैटरैक्ट एक्सट्रैक्शन से जुड़े कुछ जोखिम भी हैं। इनमें से कुछ जोखिम निम्नलिखित हैं:
इंफेक्शन ईसीई सर्जरी की सबसे आम जटिलताओं में से एक है। ज्यादातर मामलों में इंफेक्शन का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं के साथ किया जा सकता है। हालांकि, कुछ दुर्लभ मामलों में इंफेक्शन से अंधेपन जैसी गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।
इस सर्जरी का एक अन्य जोखिम खून बहना है। ज्यादातर मामलों में यह समस्या मामूली होती है और अपने आप ठीक हो जाती है। हालांकि, दुर्लभ मामलों में यह स्थिति गंभीर हो सकती है और ऐसे में खून चढ़ाने की जरूरत होती है।
इस सर्जरी की एक अन्य जटिलता कॉर्निया को नुकसान है। आमतौर पर ऐसा सर्जन द्वारा गलती से बहुत गहरा चीरा लगाने के कारण होता है। ज्यादातर मामलों में सर्जरी से इस नुकसान की मरम्मत की जा सकती है। हालांकि, दुर्लभ मामलों में यह स्थायी दृष्टि समस्याओं का कारण बन सकता है।
इस प्रकार एक्स्ट्राकैप्सुलर कैटरैक्ट एक्सट्रैक्शन से जुड़े कुछ जोखिम हैं। हालांकि, यह जोखिम आमतौर पर मामूली और इलाज करने वाले होते हैं। ऐसे में कोई भी फैसला लेने से पहले अपने डॉक्टर से सभी जोखिमों और फायदों को लेकर बात करना सुनिश्चित करें।
ईसीसीई के कई विकल्प हैं, लेकिन फेकोइमल्सीफिकेशन और मैन्युअल स्मॉल इंसीजन कैटरैक्ट सर्जरी या एमएसआईसीएस इनमें ज्यादा सबसे आम हैं। फेकमूल्सीफिकेशन एक आधुनिक सर्जिकल तकनीक है, जो मोतियाबिंद को आंख से बाहर निकालने से पहले उसे छोटे टुकड़ों में तोड़ने के लिए अल्ट्रासाउंड का उपयोग करती है। जबकि, एमएसआईसीएस एक पुरानी सर्जिकल तकनीक है। इसमें आंख के किनारे पर एक छोटा चीरा लगाना और फिर मोतियाबिंद को मैन्युअल रूप से निकालना शामिल है।
इन दोनों सर्जिकल तकनीकों के अपने फायदे और नुकसान हैं। हालांकि, फेकोइमल्सीफिकेशन आमतौर पर एमएसआईसीएस के मुकाबले कम आक्रामक मानी जाती है। साथ ही इसमें रिकवरी का समय कम होता है, लेकिन बाकी सर्जरी की तुलना में यह ज्यादा महंगी हो सकती है। इसके अलावा एमएसआईसीएस कम खर्चीली होता है। इसके लिए लंबे समय तक ठीक होने की जरूरत होती है और इस सर्जरी में जटिलताओं का ज्यादा जोखिम भी शामिल है।
ऐसे में आपके लिए सबसे अच्छी सर्जिकल तकनीक आपकी परिस्थितियों और जरूरतों पर निर्भर करती है। अगर आप मोतियाबिंद सर्जरी पर विचार कर रहे हैं, तो सभी विकल्पों को लेकर अपने डॉक्टर से चर्चा करना सुनिश्चित करें। इससे आपको यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि आप अपनी जरूरतों के लिए सबसे बेहतर फैसला ले रहे हैं।
मोतियाबिंद वाले ज्यादातर लोगों के लिए ईसीसीई एक बेस्ट ऑपरेशन है। यह सर्जरी जटिलताओं की कम घटना और मरीज की संतुष्टि के उच्च स्तर से जुड़ी है। हालांकि, फेकोइमल्सीफिकेशन और इंट्राओकुलर लेंस इम्प्लांट जैसी नई तकनीकों के आने ईसीसीई प्रक्रियाओं की संख्या में कमी आई है। इसका मतलब यह नहीं है कि अब मोतियाबिंद का इलाज करने के लिए यह एक मूल्यवान विकल्प नहीं है। मोतियाबिंद बहुत सख्त होने या गंभीर जोनल अस्थिरता जैसे कुछ मामलों में ईसीसीई सबसे अच्छा विकल्प हो सकती है। इन्हीं कारणों से सर्जन के पास तकनीक की उचित जानकारी और जरूरत पड़ने पर इसे करने में सक्षम होना जरूरी है। हमें उम्मीद है कि यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा।
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