माइक्रो इंसीजन मोतियाबिंद सर्जरी
माइक्रो इंसीजन मोतियाबिंद सर्जरी यानी एमआईसीएस मोतियाबिंद को हटाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक कम अक्रामक सर्जिकल प्रक्रिया है।
मुफ्त परामर्श बुक करें
टॉप आंखों डॉक्टरों के साथ ऑनलाइन अपॉइंटमेंट या वीडियो परामर्श बुक करें।
माइक्रो इंसीजन मोतियाबिंद सर्जरी का अवलोकन
मोतियाबिंद सर्जरी को पहले एक प्रमुख ऑपरेशन माना जाता था। इसके लिए मरीजों को हफ्तों की गतिविधि याद करने की जरूरत होती थी। ऐसे में पट्टी में बंधी उनकी आंखों की विशेष दृष्टि के साथ मोतियाबिंद सर्जरी लोगों की दिनचर्या से हफ्तों से ज्यादा समय लेती थी। हालांकि, प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ सर्जिकल प्रक्रिया में 5 से 10 मिनट से ज्यादा समय नहीं लगता है।
माइक्रो इंसीजन मोतियाबिंद सर्जरी मोतियाबिंद या धुंधली दृष्टि के उपचार में एक क्रांतिकारी सुधार है। यह आंखों की सर्जरी के तरीके को फिर से परिभाषित करता है। लेजर दृष्टि सुधार करने की यह तकनीक मरीजों को ज्यादा आराम और तेजी से उपचार प्रदान करती है।
मोतियाबिंद सर्जरी करने के नए दृष्टिकोण ने मरीजों और सर्जनों के लिए चीजों को सरल और कम जटिल बना दिया है।
एमआईसीएस के उपयोग से मोतियाबिंद सर्जरी पिछले तरीकों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित, कम आक्रामक, तेज और ज्यादा सटीक है। सर्जरी के बाद मरीज उसी दिन या ऑपरेशन के एक दिन के अंदर सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू कर सकते हैं।
एमआईसीएस की प्रक्रिया
सर्जन निचली पलक में छोटे चीरे लगाते है। इसके बाद चीरों के माध्यम से वह एक छोटी और खोखली नली डालते हैं, जिसे कैनुला कहा जाता है। फिर सर्जन धीरे से निचली पलक को उठाकर निचली पलक और आंख के बीच की जगह में कैनुला डालते हैं। इस प्रकार सर्जन कैनुला को आंख के बाहरी कोने की तरफ निर्देशित है और मोतियाबिंद को तोड़ने के लिए इसे आगे-पीछे करते हैं। एक बार मोतियाबिंद टूट जाने के बाद सर्जन इसे कैनुला के जरिए आंख से बाहर निकालते हैं। इसके बाद हटाए गए प्राकृतिक लेंस के स्थान पर एक नया और स्पष्ट आईओएल आंख में डाला जाता है। फिर, छोटे चीरों को बहुत महीन टांके के साथ बंद कर दिया जाता है। एमआईसीएस को करने में लगभग 30 मिनट लगते हैं और ज्यादा लोग उसी दिन घर जा सकते हैं।
एमआईसीएस के फायदे
- छोटे चीरे: माइक्रो इंसीजन मोतियाबिंद सर्जरी (एमआईसीएस) पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी की तुलना में बहुत छोटे चीरों के माध्यम से की जाती है। इससे आंख को कम चोट पहुंचती है और उपचार प्रक्रिया तेज होती है।
- जटिलताओं का कम जोखिम: एमआईसीएस में छोटे चीरे शामिल होते हैं, इसलिए इंफेक्शन और सूजन जैसी जटिलताओं का जोखिम कम होता है।
- बढ़ी हुई विजुअल रिकवरी: एमआईसीएस मरीजों को अक्सर छोटे चीरों और जटिलताओं के कम जोखिम के कारण बढ़ी हुई विजुअल रिकवरी का अनुभव होता है। मरीजों को यह भी लग सकता है कि सर्जरी के बाद उनकी दृष्टि तेज और स्पष्ट है।
- जल्दी ठीक होने का समय: एमआईसीएस के मरीज आमतौर पर उन लोगों की तुलना में ज्यादा जल्दी ठीक हो जाते हैं, जो पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी से गुजरते हैं। इसका मतलब है कि वह जल्द ही अपनी सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू कर सकते हैं।
- कम बेचैनी होना: एमआईसीएस के मरीज अक्सर सर्जरी के बाद पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी कराने वालों की तुलना में कम परेशानी की रिपोर्ट करते हैं। यह छोटे चीरों और जटिलताओं के कम जोखिम के कारण है।
अन्य मोतियाबिंद सर्जरी प्रक्रियाओं की तुलना में एमआईसीएस को प्राथमिकता क्यों दी जाती है?
अन्य सर्जिकल प्रक्रियाओं की तुलना में एमआईसीएस को प्राथमिकता देने के कई कारण हैं। पारंपरिक ओपन सर्जरी की तुलना में एमआईसीएस बहुत कम आक्रामक है। इसका मतलब है कि मरीजों को कम जटिलताओं का अनुभव और तेज के साथ-साथ ज्यादा आरामदायक रिकवरी होती है। इसके अलावा एमआईसीएस प्रक्रियाओं का नतीजा मरीजों के लिए अक्सर बेहतर होता है। इसमें इंफेक्शन का कम जोखिम और कम निशान शामिल हैं। एमआईसीएस प्रक्रियाओं की कीमत पारंपरिक सर्जरी की तुलना में ज्यादा प्रभावी होती हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उन्हें ऑपरेटिंग रूम में कम समय की जरूरत और जटिलताओं का कम जोखिम होता है। इस प्रकार अलग-अलग स्थितियों का इलाज करने के लिए एमआईसीएस एक बेहद सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। इसलिए, इन प्रक्रियाओं से गुजरने वाले लोग बेहतरीन नतीजों की उम्मीद कर सकते हैं।
सर्जरी के जोखिम
मोतियाबिंद सर्जरी आमतौर पर एक बहुत ही सुरक्षित और सफल प्रक्रिया है। हालांकि, किसी भी प्रकार की सर्जरी की तरह इसमें भी कुछ जोखिम और जटिलताओं की संभावना भी हो सकती हैं। इनमें शामिल हैं:
माइक्रो इंसीजन मोतियाबिंद सर्जरी के बाद देखभाल
माइक्रो इंसीजन मोतियाबिंद सर्जरी के बाद अपने आंखों के सर्जन से मिले निर्देशों का पालन करना जरूरी है। इससे एक सफल नतीजे का प्राप्क करने और समस्याओं को रोकने में मदद मिलती है।
सर्जरी के बाद पहले हफ्ते तक आंखों को साफ और सूखा रखना जरूरी है। इस दौरान आपको आंखों को रगड़ने या छूने से बचना चाहिए। इसके अलावा नहाने और आंखों को नम रखने से बचने की सलाह दी जाती है। हालांकि, आप इस दौरान स्पंज बाथ ले सकते हैं। साथ ही चीरों पर कोई भी मरहम लगाएं, जो आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित किया गया हो। आंखों की चिकनाई बनाए रखने के लिए जरूरत के अनुसार आर्टिफिशियल टियर्स का प्रयोग करें।
आपको सर्जरी के बाद कम से कम एक हफ्ते के लिए ज़ोरदार गतिविधि और 10 पाउंड से ज्यादा भारी वजन उठाने से बचना चाहिए। सर्जरी के बाद आपको कुछ हल्की बेचैनी, जलन या खुजली का अनुभव हो सकता है। यह लक्षण सामान्य हैं और कुछ दिनों के अंदर अपने आप ठीक हो जाते हैं। अगर यह बने रहते हैं या खराब हो जाते हैं, तो जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
माइक्रो इंसीजन मोतियाबिंद सर्जरी की कीमत
एमआईसीएस की औसत लागत 30,000 रुपये से 50,000 रुपये है। इसमें सर्जन की फीस, सुविधाओं की फीस और इंट्राओकुलर लेंस (आईओएल) की कीमत शामिल है। सर्जन की फीस आमतौर पर सर्जरी का सबसे महंगा हिस्सा होती है। सुविधा फीस में ऑपरेटिंग रूम और अन्य चिकित्सा उपकरणों के उपयोग की कीमत शामिल है। आईओएल एक आर्टिफिशयल लेंस है, जिसे मोतियाबिंद से प्रभावित प्राकृतिक लेंस को बदलने के लिए आंखों में लगाया जाता है।
लेंस | तकनीक | कीमत | फायदे | |
---|---|---|---|---|
मोनोफोकल (दूर दृष्टि) | फेको | 10,000 – 20,000 | ||
एमआईसीएस | 30,000 – 50,000 | 1.2 एमएम. चीरा | ||
मल्टीफोकल (दूर और निकट दृष्टि) | एमआईसीएस | 30,000 – 50,000 | एंटी पीसीओ रिंग, ब्लू लाइट फिल्टर | |
ट्राइफोकल (निकट, दूर और कंप्यूटर विजन) | एमआईसीएस | 45,000 – 80,000 | एचडी विजन, एंटी-ग्लेयर, एंटी पीसीओ रिंग, ब्लू लाइट फिल्टर | |
टोरिक (दूर और सिलिंड्रीकल पावर) | एमआईसीएस | 30,000 – 50,000 | एंटी-ग्लेयर, एंटी पीसीओ रिंग, ब्लू लाइट फिल्टर; | |
ज़ेप्टो रोबोटिक मोतियाबिंद सर्जरी के लिए ऊपरी खर्च 20,000 – 30,000 रुपये है। | ||||
फेम्टो लेसिक रोबोटिक मोतियाबिंद सर्जरी के लिए ऊपरी खर्च 70,000 – 90,000 रुपये है। |
दिल्ली में टॉप मोतियाबिंद सर्जन
आई मंत्रा आपकी लेसिक सर्जरी के लिए सबसे बड़े नेत्र रोग विशेषज्ञ यानी ओफ्थल्मोलॉजिस्ट और बेहद आधुनिक उपकरण प्रदान करता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
माइक्रो इंसीजन मोतियाबिंद सर्जरी (एमआईसीएस) मोतियाबिंद का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक नई और कम आक्रामक प्रकार की सर्जरी है। इस प्रक्रिया में बहुत छोटे चीरों का उपयोग किया जाता है, जो सर्जरी के बाद रिकवरी के समय में सुधार कर सकती है। साथ ही इससे जटिलताओं का जोखिम कम करने में भी मदद मिलती है।
सर्जरी के प्रकार के साथ-साथ अन्य कारकों के आधार पर एमआईसीएस की कीमत व्यापक रूप से अलग होती है। हालांकि, इसकी सामान्य कीमत 30,000 रुपये से लेकर 50,000 रुपये तक हो सकती है। इसमें सर्जन की फीस, सुविधा फीस और इंट्राओकुलर लेंस (आईओएल) की कीमत शामिल है। इनमें सर्जन की फीस आमतौर पर ऑपरेशन का सबसे महंगा हिस्सा होती है। कई बीमा कंपनियां मोतियाबिंद सर्जरी की कीमत के कम से कम एक हिस्से को कवर करती हैं।
एमआईसीएस के फायदों में छोटे चीरे शामिल हैं, जिससे कम जटिलताएं होती हैं। साथ ही तेजी से पोस्टऑपरेटिव रिकवरी समय और इंफेक्शन का कम जोखिम हो सकता है। इसके अलावा एमआईसीएस का उपयोग कभी-कभी अन्य कम अक्रामक प्रक्रियाओं के संयोजन में किया जा सकता है, जैसे क्लियर कॉर्नियल सर्जरी। इससे जटिलताओं के जोखिम को पहले से ज्यादा कम करने के साथ-साथ बाद के नतीजों को सुधारने में मदद मिलती है।
एमआईसीएस की सिफारिश आमतौर पर उन मरीजों के लिए की जाती है, जिनका मोतियाबिंद विकास के शुरुआत और बीच के चरणों में हैं। इसके अलावा एमआईसीएस उन मरीजों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है, जो अन्य स्वास्थ्य कारकों के कारण पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी के लिए उम्मीदवार नहीं हैं।
एमआईसीएस के दौरान आपके सर्जन आंख में एक छोटा चीरा लगाते हैं और फिर एक छोटा उपकरण आंख में डालते हैं, जिसे फेकोइमल्सीफिकेशन सुई कहा जाता है। इस सुई का उपयोग मोतियाबिंद को तोड़ने और आंख से बाहर निकालने के लिए किया जाता है। मोतियाबिंद को हटा दिए जाने के बाद प्राकृतिक लेंस को बदलने के लिए एक आर्टिफिशियल इंट्राओकुलर लेंस (आईओएल) को आंख में डाला जाता है।
सर्जरी के बाद आपको कुछ असुविधा और धुंधली दृष्टि का अनुभव होने की संभावना है। हालांकि, यह लक्षण कुछ दिनों के अंदर ठीक हो जाते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि आपकी आंख ठीक हो जाती है। इसके अलावा आपको इंफेक्शन रोकने और उपचार को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए सर्जरी के बाद कुछ हफ्तों के लिए आंखों की बूंदों का उपयोग करने की जरूरत होती है।
किसी भी प्रकार की सर्जरी की तरह हमेशा एमआईसीएस से जुड़े जोखिम होते हैं। हालांकि, जोखिम आमतौर पर बहुत कम होते हैं और इसमें इंफेक्शन, खून बहना और सूजन शामिल हो सकते हैं। दुर्लभ मामलों में रेटिनल डिटैचमेंट या ग्लूकोमा जैसी ज्यादा गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।