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फेम्टोसेकेंड लेजर मोतियाबिंद सर्जरी (एफएलएसीएस): प्रक्रिया और फायदे – Femtosecond Laser Cataract Surgery (FLACS): Procedure And Benefits In HindiThe Future of Eye Surgery?

फेम्टोसेकेंड लेजर मोतियाबिंद सर्जरी (एफएलएसीएस) – Femtosecond Laser Cataract Surgery (FLACS) In Hindi

फेम्टोसेकेंड लेजर मोतियाबिंद सर्जरी (एफएलएसीएस) नए प्रकार की सर्जरी है, जो आंख में चीरा बनाने के लिए एक फेम्टोसेकेंड लेजर का उपयोग करती है। इस प्रकार की सर्जरी दुनिया में बहुत आम है और इसे मोतियाबिंद सर्जरी के लिए बेहतरीन विकल्प माना जाता है। पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी की तुलना में फेम्टोसेकेंड लेजर मोतियाबिंद सर्जरी के कई फायदे हैं। यह पारंपरिक सर्जरी से बहुत ज्यादा सटीक है, जिसका मतलब जटिलताओं के जोखिम में कमी और सर्जरी के बाद दृष्टि बेहतर होना है।

 

आज फेम्टोसेकेंड लेजर मोतियाबिंद सर्जरी दूसरी सर्जरी से बहुत तेज है। इसका मतलब है कि आप अस्पताल में कम समय बिताएंगे और सर्जरी से जल्दी ठीक हो जाएंगे। ऐसे में मोतियाबिंद की सर्जरी कर रहे लोगों को कोई भी फैसला लेने से पहले अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। इससे आपको यह जानने में मदद मिलती है कि क्या फेम्टोसेकेंड लेजर मोतियाबिंद सर्जरी आपके लिए सही है। फेम्टोसेकेंड लेजर मोतियाबिंद सर्जरी आंखों की सर्जरी का भविष्य है और यह आने वाले वर्षों के लिए आपकी दृष्टि को बनाए रखने में आपकी मदद कर सकती है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में मोतियाबिंद दृष्टि हानि का प्रमुख कारण है और आमतौर पर इसका इलाज सर्जरी से किया जा सकता है। हालांकि, क्या होगा अगर मोतियाबिंद के इलाज का कोई बेहतर तरीका हो? क्या होगा अगर हम उन्हें हटाने के लिए लेजर का उपयोग कर सकें? ठीक यही लक्ष्य फेम्टोसेकेंड लेजर मोतियाबिंद सर्जरी का है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम फेम्टोसेकेंड लेजर मोतियाबिंद सर्जरी के फायदों पर चर्चा करेंगे। साथ ही आप जानेंगे कि कैसे यह सर्जरी आंखों की सर्जरी में बेहतरीन सुधार कर सकती है।

एफएलएसीएस कैसे काम करती है – How Does FLACS Work In Hindi

फेम्टोसेकेंड लेजर मोतियाबिंद सर्जरी यानी एफएलएसीएस का काम पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी से मिलता-जुलता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि दोनों ही मामलों में कॉर्निया के किनारे पर एक चीरा लगाया जाता है। इसके बाद सर्जन इस चीरे की मदद से धुंधले लेंस को हटा देते हैं। एफएलएसीएस में सबसे पहला कदम ब्लेड के बजाय लेजर का उपयोग करके यह चीरा बनाना है, जिसके कारण मरीजों को कई फायदे प्राप्त हो सकते हैं। इससे सर्जन को आंख के अंदर बहुत ज्यादा सटीक चीरा लगाने में मदद मिलती है। साथ ही यह आसपास के ऊतकों को होने वाले नुकसान की संभावना को कम भी करता है।

सर्जरी के दौरान अगला कदम अल्ट्रासाउंड वेव का उपयोग करके क्लाउड लेंस को छोटे टुकड़ों में तोड़ना है। आमतौर पर प्रक्रिया का यह हिस्सा एक मशीन का उपयोग करके भी किया जाता है। इसका मतलब है कि आंख के अंदर उपकरणों के मैनुअल हेरफेर की कोई जरूरत नहीं है। फरि, आखिर में सर्जन चीरे की मदद से नया लेंस आंख में डालते हैं, जो प्राकृतिक लेंस की जगह पर स्थित होता है। एफएलएसीएस की पूरी प्रक्रिया के दौरान मरीज जागते और सतर्क रहते हैं और उसी दिन घर जा सकते हैं। एफएलएसीएस का रिकवरी समय पारंपरिक सर्जरी की तुलना में कम होता है। साथ ही इसमें सर्जन को टांके लगाने की कोई जरूरत नहीं होती है।

एफएलएसीएस से पहले – Before FLACS In Hindi

एफएलएसीएस बहुत ही सुरक्षित और प्रभावी प्रक्रिया है। हालांकि, सभी सर्जरी की तरह इसमें कुछ जोखिम शामिल हैं। ऐसे में प्रक्रिया से पहले सर्जन आपसे इन जोखिमों पर चर्चा के साथ-साथ आंखों की पूरी जांच भी करते हैं।

याद रखें कि एफएलएसीएस सभी के लिए उपयुक्त नहीं है। इसका मतलब है कि कुछ चिकित्सीय स्थितियों या एडवांस मोतियाबिंद वाले लोगों के लिए पारंपरिक सर्जरी बेहतर विकल्प है। अगर आप फेमटोसेकंड लेजर मोतियाबिंद सर्जरी पर विचार कर रहे हैं, तो एक अनुभवी सर्जन से परामर्श करना जरूरी है। सर्जन आपको इस बारे में सलाह देने में सक्षम होते हैं कि क्या इस प्रकार की सर्जरी आपके लिए सही है। साथ ही वह प्रक्रिया को उच्च स्तर तक ले जाने में भी मदद करते हैं।

एफएलएसीएस के अन्य फायदे

बताए गए फायदों के अलावा एफएलएसीएस के अन्य कई फायदे हैं। एफएलएसीएस के चीरे बहुत सटीक होते हैं, जिससे सर्जरी के बाद दृष्टिवैषम्य का जोखिम कम होता है। इससे आपकी दृष्टि में सुधार होगा और आपको चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस पहनने की जरूरत नहीं होगी। एफएलएसीएस भी सूजन और इंफेक्शन जैसी जटिलताओं के कम जोखिम से जुड़ी है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि प्रक्रिया के दौरान आसपास के ऊतक को नुकसान होने की संभावना कम है।

एफएलएसीएस आज बहुत लोकप्रिय है, क्योंकि यह मरीजों को ज्यादा आरामदायक अनुभव देती है। आमतौर पर इस तेज प्रक्रिया में लगभग 20 मिनट लगते हैं। साथ ही इसमें सुई या इंजेक्शन लगाने की कोई जरूरत नहीं होती है। अगर आप मोतियाबिंद सर्जरी पर विचार कर रहे हैं, तो एफएलएसीएस पर विचार करने योग्य है। यह कई फायदों के साथ एक सुरक्षित और प्रभावी प्रक्रिया है। इस प्रकार यह आपको आने वाले कई वर्षों तक एक साफ दृष्टि का आनंद लेने में मदद कर सकती है।

एफएलएसीएस के बाद – After FLACS In Hindi

जब आपकी एफएलएसीएस सर्जरी होती है, तो इसके बाद आप कुछ घंटों के लिए अस्पताल में रहने की संभावना रखते हैं। आपकी आंख पर एक पैच हो सकता है और उपचार में मदद के लिए आंखों की ड्रॉप्स डाली जाती है। इसके अलावा उपचार प्रक्रिया के दौरान अपनी आंख को साफ और इंफेक्शन से बचाकर रखना भी बहुत जरूरी है। आपकी आंख की देखभाल कैसे करें, इस बारे में डॉक्टर आपको खास निर्देश देते हैं। एफएलएसीएस करवा चुके ज्यादातर लोगों को प्रक्रिया के बाद बहुत कम या बिना दर्द का अनुभव होता है। हालांकि, चीरे वाले क्षेत्र के आसपास आपको थोड़ी असुविधा या दर्द हो सकता है। इसके अलावा आपको आंख में कुछ होने का अहसास भी होता है। हालांकि, यह सामान्य है और कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है।

आमतौर पर आपको उपचार प्रक्रिया के दौरान अपनी आंखों को रगड़ने या दबाव डालने से बचने की सलाह दी जाती है। आपको ड्राइविंग करने, मशीनरी चलाने या ऐसी कोई अन्य गतिविधि करने से भी बचना चाहिए, जो आपकी आंखों पर दबाव डाल सकती है। सर्जरी के एक हफ्ते के अंदर आपके डॉक्टर आपको फॉलो-अप अपॉइंटमेंट के लिए बुलाते हैं। इस मुलाकात के दौरान वह सुनिश्चित करने के लिए जांच करते हैं कि आपकी आंख ठीक से ठीक हो रही है। साथ ही इससे उन्हें यह पता लगाने में भी मदद मिल सकती है कि आंख में कोई जटिलता नहीं है। आंख में सब ठीक होने पर आप अपनी सामान्य गतिविधियों पर लौटने में सक्षम हो सकते हैं।

एफएलएसीएस की प्रक्रिया – Procedure Of FLACS In Hindi

एफएलएसीएस की प्रक्रिया पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी मिलती-जुलती ही है। इसमें सबसे पहले आपकी आंखों को आई ड्रॉप से ​​सुन्न किया जाता है। फिर, सर्जन कॉर्निया के किनारे पर एक छोटा चीरा लगाते हैं। बाद में आंख के अंदर एक छोटी सी प्रॉब डाली जाती है और लेंस कैप्सूल में छोटा छेद बनाने के लिए फेम्टोसेकेंड लेजर का उपयोग किया जाता है। इसके बाद इरिगेटिंग चॉपर उपकरण के उपयोग से सर्जन धुंधले लेंस को तोड़ते हैं। इससे उन्हें मोतियाबिंद वाले लेंस को आंख से बाहर निकालने में मदद मिलती है। आखिर में खाली लेंस कैप्सूल में एक नया इंट्राओकुलर लेंस यानी आईओएल डाला जाता है।

आमतौर पर एफएलएसीएस और पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी के बीच मुख्य अंतर यह है कि लेंस कैप्सूल में छेद बनाने के लिए फेम्टोसेल लेजर का उपयोग किया जाता है। इससे ज्यादा सटीक और नियंत्रित चीरा बनाने में मदद मिलती है। इसकी वजह से कम जटिलताएं होती हैं, जो जल्दी ठीक हो सकती है। एफएलएसीएस अपेक्षाकृत नई प्रक्रिया है, जिसे मोतियाबिंद का इलाज करने के लिए सुरक्षित और प्रभावी तरीका माना जाता है। अगर आप मोतियाबिंद सर्जरी पर विचार कर रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से पूछना सुनिश्चित करें कि क्या एफएलएसीएस आपके लिए सही विकल्प है।

एफएलएसीएस के फायदे – Benefits Of FLACS In Hindi

एफएलएसीएस के कई फायदे हैं। पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी की तुलना में कम आक्रामक होना एफएलएसीएस के सबसे मुख्य फायदों में से एक है। इसका मतलब इंफेक्शन और जटिलताओं का जोखिम कम होना है। इसके अलावा एफएलएसीएस एक आउट पेशेंट सेटिंग में की जा सकती है, जो मरीजों के लिए ज्यादा सुविधाजनक है। इस सर्जरी का एक अन्य फायदा है कि यह मरीजों को बेहतर दृष्टि प्रदान कर सकती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सर्जन का चीरों के स्थान पर ज्यादा नियंत्रण होता है। इससे वह उन्हें छोटा और ज्यादा सटीक बना सकते हैं।

मरीजों को कम दुष्प्रभावों वाली एफएलएसीएस से जल्दी ठीक होने में समय लगता है। इस सर्जिकल प्रक्रिया के कुछ अन्य फायदों में अस्पताल में कम रहना, दर्द निवारक दवाओं की कम जरूरत और कोई टांका नहीं लगना शामिल है। ऐसे में अगर आप मोतियाबिंद सर्जरी पर विचार कर रहे हैं, तो एफएलएसीएस आपके लिए सर्जरी का सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। यह देखने के लिए कि क्या इस प्रकार की सर्जरी आपके लिए सही है, अपने आंखों की डॉक्टर से बात करें।

एफएलएसीएस की सीमाएं – Limitations Of FLACS In Hindi

एफएलएसीएस की कुछ सीमाएं हैं। इनमें कुछ प्रकार के मोतियाबिंद वाले लोगों के लिए सर्जरी का अभी तक स्वीकृत नहीं होना शामिल है। यह न्यूक्लियर स्क्लेरोटिक मोतियाबिंद जैसे हैं। इसके अलावा यह सर्जरी अभी तक दुनिया के सभी हिस्सों में उपलब्ध नहीं है। किसी भी सर्जिकल प्रक्रिया की तरह एफएलएसीएस से जुड़े जोखिम भी हैं, जो इस सर्जरी की अन्य संभावित सीमा है। इन जोखिमों में इंफेक्शन, खून बहना और सूजन शामिल हैं।

आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि एफएलएसीएस अपेक्षाकृत एक नई प्रक्रिया है। ऐसे में इसकी दीर्घकालिक सुरक्षा और प्रभावशीलता को निर्धारित करने के लिए ज्यादा रिसर्च किए जाने की जरूरत है। हालांकि, एफएलएसीएस के शुरुआती नतीजे आशाजनक हैं। इसका मतलब है कि भविष्य में इस प्रकार की सर्जरी ज्यादा व्यापक रूप से उपलब्ध होगी।

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निष्कर्ष Conclusion In Hindi

फेम्टोसेकेंड लेजर मोतियाबिंद सर्जरी यानी एफएलएसीएस दुनिया में सबसे फायदेमंद सर्जिकल प्रक्रिया के तौर पर लोकप्रिय है। यह आधुनिक तकनीक मरीजों के लिए कई संभावित फायदे प्रदान करती है। इसमें प्रक्रिया का कम समय, कम जटिलताएं और बेहतर दृश्य के नतीजे शामिल हैं। हालांकि, इन फायदों की पुष्टि के लिए ज्यादा रिसर्च करने की जरूरत है। ऐसे में फेम्टोसेकेंड लेजर मोतियाबिंद सर्जरी आंखों की देखभाल के लिए सबसे अच्छा विकल्प है। इसलिए, अगर आप मोतियाबिंद सर्जरी पर विचार कर रहे हैं, तो सर्जन से परामर्श करें। इससे आपको सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि क्या यह नई तकनीक आपके लिए सही है।

फेम्टोसेकेंड लेजर मोतियाबिंद सर्जरी अभी तक सभी सुविधाओं पर उपलब्ध नहीं हो सकती है। हालांकि, यह सर्जरी तेजी से सर्जनों और मरीजों दोनों के बीच लोकप्रियता हासिल कर रही है। ऐसे में मोतियाबिंद सर्जरी एक सुरक्षित और दर्द रहित प्रक्रिया है। आई मंत्रा में हमारे पास अनुभवी आंखों के सर्जनों की एक टीम है, जो मोतियाबिंद सर्जरीमोतियाबिंद सर्जरी की कीमत, मोतियाबिंद सर्जरी के अलग-अलग प्रकारों के लिए मोतियाबिंद लेंस की कीमतफेकोइमल्सीफिकेशनएमआईसीएस और फेम्टो लेजर मोतियाबिंद पर आपके किसी भी सवाल का जवाब देने में सक्षम है। ज्यादा जानकारी के लिए हमें +91-9711116605 पर कॉल या eyemantra1@gmail.com पर ईमेल करें।

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